न्यूज़ फ्रंट संवाददाता दीप्ती श्री पाठक की रिपोर्ट : भारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद् (सेंट्रल काउंसिल फॉर इंडियन मेडिसिन) ने आयुर्वेद के चिकित्सकों को सर्जरी का अधिकार देने के संबंध में अधिसूचना जारी किया हैl जिसके तहत सामान्य सर्जरी (चीड़-फाड़), नाक-कान-गला, आँख, हड्डी एवं दांत आदि से सम्बंधित बीमारियों के इलाज के लिए आवश्यक कुल 58 प्रकार की सर्जरी के अधिकार प्रदान किये गए हैंl हालांकि भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि आयुर्वेदिक चिकित्सकों को सर्जरी का अधिकार दिया जाना सरासर गलत निर्णय हैl संघ ने इस अधिसूचना को वापिस लेने की मांग की हैl
IMA ने परिषद् के इस निर्णय को गैर-जिम्मेदारी भरा निर्णय करार दिया है, और कहा कि आयुर्वेदिक डॉक्टर सर्जरी के योग्य नहीं हैंl यही नहीं बल्कि संघ द्वारा आधिकारिक बयान जारी कर यह कहा गया है कि IMA द्वारा कुछ मानक बनाए गए हैं, जिसके उल्लंघन होने पर घातक परिणाम आएंगेl संघ ने परिषद् को यह परामर्श दिया कि आयुर्वेद चिकित्सक प्राचीन ज्ञान व तकनीक के आधार पर सर्जरी के पद्धति की खोज करें और उसे आधुनिक चिकित्सा शास्त्र पर आधारित सर्जरी की प्रक्रिया से पूरी तरह अलग रखेंl
फैसले पर विरोध जताते हुए IMA ने यह भी प्रश्न उठाया कि अगर ऐसे क्षुद्र रूप से आयुर्वेदिक चिकित्सकों को सर्जरी के अधिकार दिए गए तो NEET की परीक्षा की क्या उपयोगिता रह जाएगीl उसने सरकार से भी यह अनुरोध किया है कि इस निर्णय पर गंभीरता से सोचे जाने की जरुरत है तथा इस निर्णय को हर हाल में वापस लेने के निर्देश दिए जाएँl संघ ने आधुनिक चिकित्सकों को चेतावनी देते हुए कहा कि अन्य चिकित्सा विधा के विद्यार्थियों को वो आधुनिक चिकित्सा पद्धति की शिक्षा नहीं प्रदान करें, अन्यथा NEET की परीक्षा उत्तीर्ण कर आए विद्यार्थियों और ऐसे शॉर्टकट रास्ते से आए विद्यार्थियों के बीच कोई अंतर नहीं रह जाएगाl IMA ने यह भी कहा कि संघ आधुनिक चिकित्सा पद्धति की विशिष्टता को अक्षुण बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और किसी अन्य पद्धति के साथ इसका मिश्रण इसकी विशिष्टता व महत्व को कम करेगाl
दूसरी तरफ भारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद् ने यह दावा किया है कि आयुर्वेदिक चिकित्सक विगत 25 वर्षों से सर्जरी का कार्य करते आ रहे हैंl ऐसे में इन चिकित्सकों के द्वारा आयुर्वेद संघनों एवं अस्पतालों में किये जा रहे सर्जरी को वैधानिक ठहराने के लिए यह अधिसूचना जारी की गई हैl
दरअसल परिषद् द्वारा जारी अधिसूचना में यह कहा गया कि आयुर्वेद में परास्नातक कर रहे छात्र विभिन्न प्रकार के सर्जरी का अध्ययन कर सकेंगेl इसके अंतर्गत आयुर्वेद सर्जरी में परास्नातक के छात्रों को शल्य चिकित्सा प्रणाली (सामान्य सर्जरी) एवं शालक्य चिकित्सा तंत्र (नाक, कान, गला, सिर, और आँख की सर्जरी) के अध्ययन के दौरान हर तरह के सर्जरी का प्रशिक्षण दिया जाएगाl साथ ही इन विद्यार्थियों को ग्लूकोमा, अल्सर, मूत्रमार्ग सम्बंधित रोग, स्तन की गांठ आदि के इलाज के लिए विभिन्न प्रकार के जरुरी सर्जरी के अधिकार दिए जाने की बात की गई हैl

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